सावधानियां

घरेलू चिकित्सा अपनाने में सावधानियां
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घरेलू चिकित्सा अपनाने में सावधानियां


छोटी-मोटी बीमारियों में अथवा अचानक से खराब हुई तबीयत का इलाज करने में यदि हम भयमुक्त होकर सोचेंगे तो निश्चित ही घरेलू चिकित्सा के नुस्खों की अवश्य याद आयेगी। लेकिन अक्सर हम डर के मारे तुरन्त डाक्टर के पास भागते हैं और डाक्टर इसका फायदा उठाते हैं।

उन्हें मालुम है कि मामूली बीमारियाँ (जैसे-सिरदर्द, हल्का कमर दर्द, हरारत, सर्दी, जुकाम आदि) कुछ तो समय के साथ (दो-तीन दिन में) ठीक हो जाती हैं, और कुछ साधारण दवाइयों से। जो बीमारियाँ दो-तीन दिन में अपने आप ठीक होती हैं इसका अर्थ है कि शरीर ने उन्हें अपने आप ठीक कर लिया है।

अब दवाई की जरूरत नहीं हैं और कुछ बीमारियों में हल्की-फुल्की दवाई लेने से काम चल जाता है। और कुछ बीमारियों में सावधानी पूर्वक लम्बे समय तक दवाई चलानी पड़ती है। ऐसी स्थिति में घरेलू चिकित्सा अपनाने में भी कुछ सावधानी तो अवश्य ही रखनी पड़ेगी।

1. वृक्षों की छाल, जड़ीबुटियाँ, मसाले आदि अच्छी दुकान से ही खरीदें। घुने हुए या फफूंदी लगे मसाले या जड़ी-बुटियाँ लेने से नुकसान ही होगा और वे असर भी नहीं करेंगी। जड़ी-बुटियाँ लेने के बाद किसी वैद्य या जानकार व्यक्ति को जरूर दिखा लें क्योंकि हमें यदि मालूम है कि वह जड़ी-बूटी उसी तरह की होती है तो फिर ठीक है लेकिन यदि नहीं मालूम तो उसकी जगह वह दुकानदार जानबुझकर या गलती से कुछ और भी दे सकता है। तो मुश्किल हो सकती है। इसलिए उन्हें चेक कराना अनिवार्य है।

2. औषधियों के साथ, किसी योग के साथ अथवा किसी भी फार्मूले में उपयोग किया जाने वाला पानी शुद्ध होना चाहिए या फिर उबला हुआ होना चाहिए। अशुद्ध पानी के प्रयोग से जड़ी-बुटियों का प्रभाव विपरीत हो सकता है। इसी प्रकार जड़ी बुटियों को रखने वाले पात्र भी साफ सुथरे होने चाहिए। अगर संभव हो तो इनको काँच की बोतलों में रखें ताकि वह बाहर से दिखाई देते रहें। गंभीर रोगों की घरेलू चिकित्सा के और समय-समय पर उन्हें धूप दिखाते रहना चाहिये।

3. ताजी और हरी जड़ी-बुटियों को समय रहते ही उपयोग में ले लेना चाहिए। सूखने के बाद उनमें पौष्टिकता कम हो जाती है। पत्तियाँ, हरी छाल आदि पानी में अच्छी तरह धोकर-सुखाकर ही काम में लेनी चाहिए।

4. इन औषधियों के साथ या घरेलू नुस्खों के प्रयोग के साथ-साथ किसी वैह या अच्छे जानकार की सलाह अवश्य ले सकते हैं। वैसे तो यह सब फार्मूले समर की कसौटी पर परखे हुए हैं। और अधिकाशंतः सही हैं फिर भी आप स्वविवेव से इनका उपयोग कर सकते हैं। लेकिन प्रकाशक अथवा संपादक उसके लिरं उत्तरदायी नहीं होंगे।

5. लगातार दवाईयाँ लेकर बहुत लंबे समय तक नहीं जिया जा सकता। इसलिा स्वस्थ रहने की कोशिश करनी चाहिए। जहाँ तक संभव हो दवाओं से बचना है चाहिए। दो-तीन दिन तक बीमारी का आप इन्तजार कर सकते हैं। फिर जरूर पडे तो दवाई ले सकते हैं। लेकिन अच्छी औषधि वही है जो एक रोग को खत करके दूसरे रोगको पैदा न करे।


6. घरेलू उपचार करते समय या किसी भी प्रकार की औषधि लेते समय * प्रकृति के नियम, पथ्य, अपथ्य, आहार-विहार के नियमों का पालन करन चाहिये। उससेदवाइयों का असर जल्दी होता है। घरेलू चिकित्सा की दवाइयों शरीर पर किसी भी तरह का कोई साईड इफैक्ट नहीं पड़ता है। .

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